बालिका गृह में भी बेटियाँ महफूज़ नहीं, ऐसी जगह इज्ज़त लूटी जाएगी, कभी सोचा न था । बालिका गृह में भी बेटियाँ महफूज़ नहीं, ऐसी जगह इज्ज़त लूटी जाएगी, कभी सोचा न था...
और कोलाहल ? और कोलाहल ?
और फिर... और फिर...
और हम उनकी यादों में खोये रहते हैं... और हम उनकी यादों में खोये रहते हैं...
कोरे कागज़ का टुकड़ा हूँ चाहे जैसा देखना चाहो दिखता वैसा हूँ।। कोरे कागज़ का टुकड़ा हूँ चाहे जैसा देखना चाहो दिखता वैसा हूँ।।
ज़िन्दगी और रियलिटी ज़िन्दगी और रियलिटी